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पलायन.........

                                                         पलायन......... 
आज देश को लॉक डाउन हुए तकरीबन ४५ दिन होगए ,लेकिन आज भी मजदूर लोगो का पलायन शुरू है?
आज  देश के मजदूर लोग अपनी पूरी फॅमिली के  साथ पलायन कर रहे है, देश के कई भागो में  आज पैदल मार्च कर रहे है...  समाचार माध्यमों से मालूम चल रहा है की कई मजदूर लोगो को आकाशमिक मृत्यु भी हो रही है किसी को रोड एक्सीडेंट ,तो इसी को हार्ट अटैक  से हमारे देश के मजदूर अपनी जान गवा रहे है। 
कई मजदूर तो ऐसे भी है जो साइकिल से ही अपनी पत्नी के साथ निकल गए अपने गाव  की तरफ , तो कुछ लोग हाथ गाड़ी ( ठेला ) पर अपनी पूरी फॅमिली को  लेकर गांव की तरफ चल दिए।  अभी तो दूसरे राज्यों के मजदूर, विधार्थी ,पर्यटक जो भी लॉक डाउन में फसे थे उनको उनकी मंजिल तक पहुंचाने का काम रेलवे और राज्य सरकार की बस सेवा कर रही  है। 
फिर भी ज्यादातर मजदूर लोग आज भी पैदल निकल रहे है क्यों की आज बहुत से ऐसे मजदूर है जो उनको ऑनलाइन रेजिस्टशन करने को नहीं आता, या फिर उन्हें मालूम नहीं की क्या क्या फॉर्मेलिटी करनी पड़ती है। इस लिए वो लोग रोड/रेल के रस्ते निकल पड़े है.. दिन -रात चलते है जब थक जाते है तो वही रोड के साइड में सो/आराम करते है फिर सुबह निकल कर अपनी मंजिल की तरफ निकल जाते है.. रस्ते जो मिला खा लिए..   क्यों की आज बेचारे उन मजदूरों को रास्ते में खाने को अगर किसी ने दे दिया तो ठीक  है, नहीं तो ५ र की बिस्कुट की  पैकिट  या चना खाते  हुए निकल चले है। कुछ लोग तो सिर्फ पानी पीकर ही अपनी मंज़िल की तरफ निकल पड़े है. 
 
इस लॉक डाउन में कितनो की ज़िन्दगी  और नौकरी दोनों को तबाह कर दिया! इस लॉक डाउन में उन फैक्टरी के मालिक को सबसे ज्यादा नुक्सान उठाना पड़ेगा... क्यों की मजदूर नहीं तो प्रोडक्शन नहीं/ मजदूर नहीं तो बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम नहीं/मजदूर नहीं तो रोड का काम नहीं/मजदूर न मिले तो खेतो में काम नहीं... आज ४५ दिन से घर पर बैठे मजदूर लोगो को अगर थोड़ी दरियादिली इन फैक्ट्री/कंस्ट्रक्शन/इंडस्ट्रियल के मालिक लोग दिखाए होते तो शायद ही  आज कोई मजदूर अपने गांव की तरफ गया होता? अगर इन मजदूरों लोगो को कोरोना की वजह से ... लॉक डाउन में ५०% सैलरी भी दिए होते,  तो ये लोग कभी भी अपने गांव की तरफ नहीं जाते! और यही रहते और उन मालिकों का काम भी पूरी ईमानदारी से करते जैसे आज लॉक डाउन में थोड़ी छूट मिली  है। 
दोस्तों आज कोरोना विषाणु  के वजह से जो लॉक डाउन है इस समय नफा नुकसान भूल कर सिर्फ जिन्दा रहने / जिंदगी जीने के लिए सोचो..... जब तक इस महामारी की कोई दवा नहीं आ जाती. 
"ये भी समय काट जाएगा" जब इतना समय काट गया। 
किसी जनाब ने ये बहुत बढ़िया शायरी लिखी है.. जो आज इन गरीब मजदूर भाइयो को झेलना पड़ रहा है.. 

" फेक रहे हो तुम खाना क्यों की आज रोटी थोड़ी सुखी है,
थोड़ी इज़त से फेकना साहेब, मेरी बेटी कल से भूखी है। 
आज रोड के रास्ते जितने लोग जा रहे है कई ऐसे मजदूर है जिनकी जेब में १०० र से ज्यादा पैसे नहीं है? कई कई दिन भूखे रहते है और चलते रहते है।