Balance Your Mind

 यदि आप इस पोस्ट को पढ़ रहें है तो मुझे पता है आप अपने जीवन का स्तर बदलने की राह पर हैं। यदि आपको एक प्रतिशत का भी विश्वास हो कि अवचेतन मन आपका जीवन बदल सकता है। तो, उस एक प्रतिशत विश्वास को सही भोजन खिलाकर उसे बड़ा कीजिए। मैं दावे से कह सकता हूं कि आपका जो भी लक्ष्य होगा उसे पाने में आप जल्दी ही सफ़ल हो जायेंगे।



सरल भाषा में कहूं तो मन के दो हिस्से होते हैं।  *एक मन है* चेतन मन अर्थात तार्किक मन। आप ये जो पढ़ रहे हैं, सोच रहे हैं, चीजों का आकलन कर रहे हैं। यह सारे क्रिया कलाप चेतन मन द्वारा कर रहे हैं।

दूसरा हिस्सा – अवचेतन मन  अर्थात अतार्किक मन। जो तब तक सोया रहता है जब तक आप जागे हुए तथा मन को सोचने या कुछ काम में व्यस्त रखते हैं।

आज भाग दौड़ की जिंदगी में थकना माना है, ये डायलॉग आपने सुना होगा। लेकिन इसी भाग दौड़ जिंदगी में कई बार ऐसे मोड़ आते है जहा हमे सतर्क रहने की जरूरत होती है।इस भाग दौड़ की जिंदगी में 60% हमारा फोकस सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है उस पर ध्यान रहता है।

इसी माइंड से हम सोचते-समझते हैं और एक्शन लेते हैं। इस दिमाग से सोचा और किया गया हर काम केवल सतही होता है। जीवन में हमारे साथ जो भी घटित होता है उसमें असल खेल तो हमारे 'सब कॉन्शस माइंड' का होता है यानी कि 'अवचेतन मन' का। आप इसका जितना ज्यादा इस्तेमाल करेंगे उतना ही बेहतर जीवन पा सकेंगे।

उदाहरण: जब भी हम बाइक चलाते है  उस समय 99% हमारा पूरा ध्यान( माइंड) कुछ और ही सोचता है :- आज इसने ऐसे बोला, आज वो नेता ऐसे बोला, आज ये हीरोइन ऐसी दिख रही थी , घर में समान लाना है पैसा नही है ना जाने किन किन ख्यालो में हम खोए रहते है और बाइक चलती है और अचानक सामने से कोई बड़ी गाड़ी या बाइक, या आदमी आता है तो हम ब्रेक मरते है और तब हम नींद से जागते है। और कुछ सेकंड के लिए हम सही से बाइक चलाते है। 

ये सब क्यू होता है क्यू की हमारा आपका माइंड बैलेंस नही है! क्यू की रोज 

1 सोशल मीडिया पर कम से कम 4 घंटा समय बिताना 

2 योगा से दूर 

3 नींद पूरी नही होना 

4 भोजन के लिए समय नहीं 

5 फैमिली के साथ समय नही 

6 दोस्तो से मिलना जुलना नही , कोई खेल कूद में भाग नही लेना 

7 दोस्त,फैमिली और बिजनेस पार्टनर सबको ऑनलाइन मिलना। 

कब तक ऑनलाइन जिंदगी जिओगे ?? जग जाओ रियल लाइफ में। ऑनलाइन सिर्फ शोपिंग ही कर सकते है, जिंदगी का शकुन  नही।

इसलिए खुद को Reinstall करो, अपने दिमाग में वही बाते डालो जो आपके जीवन में कोई बदलाव ला सकता हो। क्यू की जो बाते हम दिन में बोलते है सुनते वही हमारे दिमाग में चलती है।












Pharma Brand Trust: The Role of Transparency and Ethics

  Pharma Brand Trust: The Role of Transparency and Ethics In  moment’s  presto- moving healthcare world,  confecting brand trust is no longe...