नई कंपनी VS पुरानी कंपनी

                    नई कंपनी VS पुरानी कंपनी 

आज के युवा पीढ़ी की सोच और सीनियर  अनुभवी लोगो की सोच में काफी अंतर है! मैने काफी इंटरव्यू लिए है मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव/ एरिया मैनेजर/ रीजनल मैनेजर ( Sales Representative/ ABM/RBM)  उसके आधार पर ये ब्लॉग्स लिख रहा हु। 



नई कंपनी में कौन ज्वाइन करना चाहता है...

१ फ्रेशर कैंडिडेट 

२ जॉब लेस 

३ पैसे के पीछे भागने वाले लोग 

४  लास्ट जिसको कैरियर में ग्रोथ चाहिए वो 

वेल ट्रेडमार्क कंपनी/ पुरानी कंपनी कौन ज्वाइन करना चाहता..

१ जिसको रेडी मेड बना बनाया सेल्स चहिए ( कम मेहनत हो)

२ कुछ लोग ब्रांड ट्रेडमार्क के पीछे भागते 

३ सैलरी ज्यादा मिलेगी 

४ सिक्योर पर्सन ( नो रिस्क)



 अगर जिस में कुछ कर गुजरने की हिम्मत हो वो व्यक्ति ही नई कंपनी ज्वाइन करता है, और खुद को साबित करता है की रियल उसकी मार्केट वैल्यू क्या है। अपने देखा होगा अक्सर आपके कंपनी में जब भी कोई नया जनरल मैनेजर और वाइस प्रेसिडेंट ज्वाइन करते है वो आपकी कंपनी से कई गुना बड़ी कंपनी से आपके यहां आते है। क्या आपने कभी देखा कोई छोटी कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट बड़ी कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट या डायरेक्टर बनते हुए ? नही ना , आखिर क्यों ?? सोचो.........

क्यू की पुरानी कंपनी/ स्टेबल कंपनी का सेल्स इतना ज्यादा हो चुका होता है की वहा पर आप ग्रोथ दे ही नही सकते? यहां तक कि पुरानी सेल्स भी संभालना मुश्किल हो जाता है।

फिर आपका पर्सनल ग्रोथ कहा हो पाएगा ???

इसलिए अगर पर्सनल ग्रोथ चाहिए तो हमेशा नई कंपनी ही आईडियल होती है जहा आप खुद को साबित कर सकते हो! 

की आप में कितना दम है आपकी मार्केट वैल्यू क्या है। 

आज कल एक नया ट्रेंड देखता हु,  कैंडिडेट इंटरव्यू लेने वाले से पूछते है सैलरी कितना राइज दोगे , पहले से सेल्स कितना है?

मैने उल्टा सवाल पूछ दिया आप कितना सेल्स लाकर दे सकते हो फिर आपको आपकी चॉइस पर सैलरी देता हु!  फिर क्या हुआ मालूम है  कैंडिडेट रुका भी नही।












Why Are Juniors Today Becoming Their Seniors?

  Why Are Juniors Today Becoming Their Seniors?    In today's fast- paced world, one surprising trend is reshaping the traditional pla...