बरवाडीह पार्ट -२

                                                                 बरवाडीह  पार्ट -२ 
इस बरवाडीह  में कई लोगो का बचपन गुजरा है ,आज इसी बरवाडीह के लोग कई शहरों में झंडा फहरा दिए है.. क्या एक समय था बरवाडीह शहर की एकता ,चाहे छठ  पूजा हो या दुर्गा पूजा सभी धर्म के लोग इसमें शामिल होते है ।


 " ना  कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर 
   बस अपनी ही धुन , बस अपने सपनो को घर 
   काश  मिल जाए फिर से मुझे वो बचपन का पहर

रेलवे क्लब का फुटबॉल मैच , रेलवे क्लब का पर्दे पर का फिल्म , रेलवे क्लब का दुर्गा पूजा और चाहे बाजार का दुर्गा पूजा कितना मजा आता था जब हम बच्चे थे,और दोस्तों के साथ घूमते थे।  आज पेट की भूख मिटने के लिए इस शहर से दूर चले गए सभी दोस्त यार !

"कितने खुबशुरत हुआ करते थे  बचपन के वो दिन 
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से दोस्ती फिर से शुरू हो जाया करती थी "

समय के साथ बरवाडीह भी प्रोग्रेस किया  लेकिन आज वो बरवाडीह नहीं  रही !  क्राइम रेट बढ़ाते जा रहे है ? जरुरत है तो वही पुरानी भाई चारा एकता की , एक खुशहाल बरवाडीह की।  आज उन सभी बरवाडीह के नौजवान से अपील है की स्वच्छ सुंदर बरवाडीह बनाने के किये आवश्यक कदम उठाये , और देश के नक़्शे पर बरवाडीह का नाम रोशन करे।

आज बरवाडीह की मुख़्य जरुरत है... 

१ हॉस्पिटल अच्छी सुविधा युक्त
२ सरकारी बैंक के साथ कम से कम ३ एटीएम मशीन
३ सड़क निर्माण
४ कुछ इंडस्ट्री जिससे स्थानिक लोगो को रोजगार मिले
५ टेक्निकल कॉलेज
६ बरवाडीह जंक्शन का दर्जा ( चिरमिरी रेल लाइन का निर्माण)
७ वोकल फॉर लोकल में आगे आये

जय जोहर झारखण्ड।
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