रक्षा सूत्र क्या है और कैसे बंधे??
कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, माना जाता है कि इसे कलाई पर बांधने से जीवन के संकट से बचाव होता है। इसका कारण यह है कि कलावा बांधने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक महत्व के अलावा वैज्ञानिक दृष्टि से भी कलावा बांधना बहुत फायदेमंद होता है।
सकारात्मक ऊर्जा के लिए बांधते हैं कलावा
माना जाता है कि पूजा-अर्चना के बाद विधिवत बांधे गए कलावे में कई प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा या दैवीय शक्तियां होती हैं. हाथ में कलावा बांधने से ये सकारात्मक ऊर्जा निगेटिव एनर्जी और बुरी नजर से हमारी रक्षा करती हैं. इसीलिए कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है
पुरुषों व अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ में और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधी जाती है। जिस हाथ में कलावा या मौली बांधें उसकी मुट्ठी बंधी हो एवं दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए। कलावा को हमेशा पांच या सात बार घूमाकर हाथ में बांधना चाहिए।
रक्षासूत्र का मंत्र है- 'येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:। इस मंत्र का सामान्यत: यह अर्थ लिया जाता है कि दानवीर महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं।
कलावा कितनी बार लपेटना चाहिए?
मान्यता है कि जिस हाथ में कलावा बंधवाते हैं, उस समय उस हाथ की मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरे हाथ को सिर पर रखना चाहिए. साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखे कि मौली को सिर्फ तीन बार ही लपेटना चाहिए।
सिर्फ मंगलवार और शनिवार कलावा बदलने का शुभ दिन होता है। - इसे बांधने से सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है। - हमेशा ही ये दुविधा बनी रहती है कि पुरुष और औरतों के किस हाथ में कलावा बांधना चाहिए। पुरुषों और अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ पर और विवाहित स्त्री के बाएं हाथ पर कलावा बांधना चाहिए।