International Family Days विश्व परिवार दिवस
आज रिश्तो की अहमियत क्या है ,इस कोरोना कल में देखने को मिल रहा है। आज पूरा ब्रम्हांड फैमिली डे (परिवार दिवस ) माना रहा है
परिवार की परिभाषा : परिवार एक लोगो का समूह है , जिसमे घर के बड़े बुजुर्ग जैसे दादा-दादी, माँ-पिताजी, चाचा-चाची ,भैया-भाभी ,और भाई-बहन इन सभी से एक परिवार बनता है। एक परिवार की परिभाषा है जो बच्चे अपने माता-पिता के साथ रहे वो एक परिवार कहलाता है।
आज के मॉडर्न जुग में जो लोग टीवी सीरियल में देखते है परिवार, माता-पिता और बच्चे ही रहते है , लेकिन २५-३० साल पीछे यानि १९वी और २०वी सदी में परिवार में दादा-दादी,चाचा-चाची ,फुआ-फूफा, दीदी-बहन ये लोग रहते है इसे संयुक्त परिवार कहते है। परिवार का मतलब हर कोई एक दूसरे की मदत करना, हर कोई एक दूसरे को सुख-दुःख में शामिल होना ही परिवार है।
कोरोना विषाणु के कहार ने आज परिवार की अहमियत (परिभाषा ) ही बदल दी है , दोस्त -रिश्तेदार की अहमियत (परिभाषा ) ही बदल दी है..!
आज कल समाचार पत्रों और टीवी चैनेलो के माध्यम से देखने को मिलता है की आज कुछ ऐसे भी परिवार है , जो खुद के बच्चे को घर में लेने से मना कर रहे है !, कई गांव ऐसे है जो खुद के गाव के बड़े बुजुर्ग या बच्चे लोग बहार किसी दूसरे शहर/गांव में लॉक डाउन में फसे थे उनको आज अपने गांव में प्रवेश नहीं दे रहे है ?
आज सच में परिवार की परिभासा बिलकुल बदल गयी है , कई ऐसे लोग है जो खुद को अकेला रहना पसंद कर रहे है , ऐसे में वो क्या परिवार की अहमियत या संस्कार अपने बच्चे को दे पाएंगे ? क्यों की खुद ये लोग अपने माता पिता से दूर है।
क्या यही रिश्ते की अहमियत है...? जब कोई मुसीबत आये तो दूर हो जाना ?
अभी समय है एक दूसरे की मदत करने का ?
क्यों अगर आप इस धरती पर जन्म लियो हो तो इस काल चक्र का सामना सभी को करना है। आज अगर इस गरीब यानि उस बेटे की है जो माँ-बाप अपने घर में नहीं ले रहे है, या गांव वाले उन्हें अपने गावो में प्रवेश नहीं दे रहे है? अगर सोचिए आज अगर आपका बच्चा होता तो.. क्या आप उसे ऐसे ही गांव में प्रवेश नहीं देते?
हम समझ सकते है की आप कोरोना विषाणु की वजह से खुद को बचने के लिए ऐसा कर रहे है, लेकिन तरीका सही नहीं?
आप चाहे तो गांव या घर में प्रवेश दे और उसे कोरॉन्टिन घर के एक रूम में करे या गांव के पंचायत भवन या स्कूल में कोरॉन्टिन करे। इसके लिए सरकार भी आपकी मदत कर रही है। इस लिए आप सभी लोग जागरूक बने।तब जाकर एक फॅमिली ( परिवार ) कह सकते है।
सयुक्त परिवार : आज अगर आप संयुक्त परिवार साथ में रह रहे है तो आप बिलकुल भाग्यशाली है, क्यों की आज के दौर में बहुत ही काम ऐसे परिवार है जो साथ रहना पसंद करते है। क्यों की कई लोग सोचते है की उनकी आज़ादी/प्राइवेसी नहीं मिल पति संयुक्त परिवार में! सिर्फ क्षणिक आनंद के लिए अलग रहते है , और जब खुद के बच्चे बड़े होते है तब उनको संयुक्त परिवार की परिभाषा का ज्ञान प्राप्त होता है।
आज रिश्तो की अहमियत क्या है ,इस कोरोना कल में देखने को मिल रहा है। आज पूरा ब्रम्हांड फैमिली डे (परिवार दिवस ) माना रहा है
परिवार की परिभाषा : परिवार एक लोगो का समूह है , जिसमे घर के बड़े बुजुर्ग जैसे दादा-दादी, माँ-पिताजी, चाचा-चाची ,भैया-भाभी ,और भाई-बहन इन सभी से एक परिवार बनता है। एक परिवार की परिभाषा है जो बच्चे अपने माता-पिता के साथ रहे वो एक परिवार कहलाता है।
आज के मॉडर्न जुग में जो लोग टीवी सीरियल में देखते है परिवार, माता-पिता और बच्चे ही रहते है , लेकिन २५-३० साल पीछे यानि १९वी और २०वी सदी में परिवार में दादा-दादी,चाचा-चाची ,फुआ-फूफा, दीदी-बहन ये लोग रहते है इसे संयुक्त परिवार कहते है। परिवार का मतलब हर कोई एक दूसरे की मदत करना, हर कोई एक दूसरे को सुख-दुःख में शामिल होना ही परिवार है।
कोरोना विषाणु के कहार ने आज परिवार की अहमियत (परिभाषा ) ही बदल दी है , दोस्त -रिश्तेदार की अहमियत (परिभाषा ) ही बदल दी है..!
आज कल समाचार पत्रों और टीवी चैनेलो के माध्यम से देखने को मिलता है की आज कुछ ऐसे भी परिवार है , जो खुद के बच्चे को घर में लेने से मना कर रहे है !, कई गांव ऐसे है जो खुद के गाव के बड़े बुजुर्ग या बच्चे लोग बहार किसी दूसरे शहर/गांव में लॉक डाउन में फसे थे उनको आज अपने गांव में प्रवेश नहीं दे रहे है ?
आज सच में परिवार की परिभासा बिलकुल बदल गयी है , कई ऐसे लोग है जो खुद को अकेला रहना पसंद कर रहे है , ऐसे में वो क्या परिवार की अहमियत या संस्कार अपने बच्चे को दे पाएंगे ? क्यों की खुद ये लोग अपने माता पिता से दूर है।
क्या यही रिश्ते की अहमियत है...? जब कोई मुसीबत आये तो दूर हो जाना ?
अभी समय है एक दूसरे की मदत करने का ?
क्यों अगर आप इस धरती पर जन्म लियो हो तो इस काल चक्र का सामना सभी को करना है। आज अगर इस गरीब यानि उस बेटे की है जो माँ-बाप अपने घर में नहीं ले रहे है, या गांव वाले उन्हें अपने गावो में प्रवेश नहीं दे रहे है? अगर सोचिए आज अगर आपका बच्चा होता तो.. क्या आप उसे ऐसे ही गांव में प्रवेश नहीं देते?
हम समझ सकते है की आप कोरोना विषाणु की वजह से खुद को बचने के लिए ऐसा कर रहे है, लेकिन तरीका सही नहीं?
आप चाहे तो गांव या घर में प्रवेश दे और उसे कोरॉन्टिन घर के एक रूम में करे या गांव के पंचायत भवन या स्कूल में कोरॉन्टिन करे। इसके लिए सरकार भी आपकी मदत कर रही है। इस लिए आप सभी लोग जागरूक बने।तब जाकर एक फॅमिली ( परिवार ) कह सकते है।
सयुक्त परिवार : आज अगर आप संयुक्त परिवार साथ में रह रहे है तो आप बिलकुल भाग्यशाली है, क्यों की आज के दौर में बहुत ही काम ऐसे परिवार है जो साथ रहना पसंद करते है। क्यों की कई लोग सोचते है की उनकी आज़ादी/प्राइवेसी नहीं मिल पति संयुक्त परिवार में! सिर्फ क्षणिक आनंद के लिए अलग रहते है , और जब खुद के बच्चे बड़े होते है तब उनको संयुक्त परिवार की परिभाषा का ज्ञान प्राप्त होता है।